Wednesday, June 30, 2010

चटोरी

मुन्ना भर लाया खीर की कटोरी

देखे चन्दा सुने माँ से लोरी

चुपके से जीजी चट कर गयी कटोरी

रो रो के पूछे मुन्ना

किसने खाली खीर की कटोरी

कहे जीजी चन्दा है चटोरी

चुपके से खा गया खीर भरी कटोरी

मुन्ना कहे जीजी

तू है सबसे बड़ी चटोरी

खायी चन्दा ने जो खीर

तो फिर तू क्यों चट रही कटोरी

रो रो मुन्ना कहे जीजी

पकड़ी गयी तेरी चोरी

माँ कहे चुप हो जा मुन्ना

तू है चाँद जीजी तेरी चटोरी

गलियों में

छुट गया बचपन गलियों में कहीं

रफ़्तार में खो गयी जिन्दगी कहीं

धूमिल पड़ गयी यादें

मानस पटल पर कहीं

फुर्सत मिली नहीं

समेट सकू यादें कहीं

छुट गया बचपन गलियों में कहीं

कुछ पल की

दोस्ती कुछ पल की थी

जिन्दगी उसी पल में थी

कशीश बड़ी प्यारी थी

एक दूजे के लिए

चाहत बड़ी निराली थी

पर बात भड़ी ना थी

चाहत जाहिर हो ना सकी थी

ओर दोस्ती रिश्ते में बदल ना सकी थी

उस पल

तुम गुजरी जिस राह से

सज गयी फूलों की सेज उस राह पे

कदमो की ताल पे झांझर बजने लगी जब

खिलने लगी कलियाँ फूल बन कर तब

देख तेरी नजाकत और मासूमियत

सिमट गयी कुदरत भी शर्मा कर उस पल

खुशी का राज

ह़र दुखों में छुपा है खुशी का राज

कह रही है जिन्दगी

मत हो तू उदास

रात ये ढल जायेगी

सूरज की किरणें नया सबेरा लाएगी

खुशियों से आँखे छलछला आएगी

Saturday, June 26, 2010

बेईमान

मिला जो दौलत का भंडार

खुदगर्ज बन गया इंसान

कल तक जिसने दिया साथ

उसे ही कह दिया

तुम हो सबसे बड़े बेईमान

साजन बिन

ओ पवन सुन जा

दर्द दिल का ले जा

संदेशा उनको ये दे आ

साजन बिन आँगन सुना

काटे कटे ना रतिया

करवटे बदल बदल

करे तारों से बतियां

कब आयेगे मेरे सजना

दिल तो अब माने नहीं

धड़के ना मोरा जिया

रस्ता उनका निहार निहार

सूनी हो गयी अंखिया

ओ री पवन

दे या उनको ये संदेशा

हो सके तो

ले आ उड़ा के उनको अपने संग

ओ पवन ओ ओ री पवन

तारीफ़

तारीफ़ में जिनकी कसीदे पढ़

ता उम्र गुजार दी

पर वो मेहरबान ना हुए

जिनके इन्तजार में जिन्दगी गुजार दी

जन्म दिवस

सुबह जब आँख खुले

सूर्य की किरणे नया पैगाम लेकर आये

प्रभात बेला कहे ढेर सारी खुशियाँ आप को मिले

दामन आप का सदा भरा रहे

जन्म दिवस के इस अवसर पर

दुआ हमारी ये आप स्वीकार करे

Friday, June 25, 2010

रक्त

कतरा कतरा रक्त कहे

ह़र बूंद में जीवन बसे

है ह़र बूंद अनमोल बड़ी

दान से इसके कईयों के जीवन बचे

पुण्य का है ये काम

रक्त दान से होता नहीं

शरीर में रक्त का आभाव

कतरा कतरा रक्त कहे

ह़र बूंद में जीवन बसे

लहुलुहान

रक्त रंजित हो गयी माट्टी

रणभूमि में लहुलुहान हो

गिरा जब वीर जवान

वेदना से कहराये जवान

सुनके करुना भरी चीत्कार

अश्रु बह आये नयनों के द्वार

हो गयी आँखे भी लाल

माट्टी और आँखे दोनों हो गयी लहुलुहान

तोड़ना

पल में आपने हमें बेगाना बना दिया

दिल लेकर दिल तोड़ना सीखा दिया

सितम पहले ही कम ना थे

आपने आंसुओ का दामन थामा दिया

खुद से खुद को बेगाना बना दिया

अधूरी जिन्दगी

कहते है जो , जिन्दगी बिन तुम्हारे अधूरी थी

उन्हें क्या मालूम , प्यार क्या होता है

तुम नहीं थी , तुम्हारी यादें थी

इस अकेलेपन की तन्हाई में

साया बन मेरे साथ थी

तो कैसे फिर जिन्दगी अधूरी थी

जीवन की डोर

थामे साँसों की डोर

ह़र बंधन को तोड़

मेरे मन के चितचोर

जिद है अपनी भी

बिन तुझसे मिले

टूटने ना देंगे ये डोर

तुझसे ही बंधी है

मेरे जीवन की डोर

बेचारी किस्मत

बरसों बीत गए आप से मिले हुए

यूँ लगे सदियाँ गुजर गयी

आप से बिछड़े हुए

दीवानगी आज भी वही है

तस्वीर दिल में आज भी वही है

कुदरत ने दी कैसी ये बीमारी है

आज भी आपके इन्तजार में बैठी

बेचारी किस्मत हमारी है

मालूम

कौन क्या सोचता है मालूम नहीं

पर हम आपके बारे में सोचते है

ये मालूम है

आप क्या चाहते है मालूम नहीं

पर हम आपको दिलो जान से चाहते है

ये मालूम है

Thursday, June 24, 2010

सच्चा दोस्त

सच्चा दोस्त एक ही है काफी

यूँ तो राह के ह़र मोड़ पे मिले कई

बने नए दोस्त कई

पर आप की बात ही कुछ ओर थी

क्योंकि आप औरों से अलग थी

मुहफट थी मगर दिल की सच्ची थी

हीरा

पत्थर भी बन जाये अनमोल

सवारे उसका जब रूप कोई

हुनर से तराशे जब कोई

तब पड़ जाये सारी चमक

उसके आगे फीकी

ओर वो बन जाये अनमोल

कहते है इसीलिए

हीरा है सदा के लिए

किताब

खोली जो किताब

मिला ये ज्ञान

प्यार में है एकता

सच में है सफलता

सबक है ये सबसे महान

बदल गयी जिन्दगी की रेखा

खत्म हुई जब किताब

Sunday, June 20, 2010

अपना दिल

पास हो तो आस है

वर्ना क्या

अपना दिल अपने पास है

पर इसको भी किसीकी तलाश है

जो समझे इसकी आवाज़

बस उसका ही इन्तजार है

वर्ना क्या

अपना दिल अपने पास है

खट्टा मीठा अनुभव इसके पास है

जब तक धड़कन दिल के पास है

तब तलक आस है

वर्ना क्या

अपना दिल अपने पास है

बर्बाद

सुनलो ओ जनाब

हम है लाज्जबाब

करना ना कोई गुस्ताखी आप

वर्ना खा जाओगे मात

हम है बादशाह

अपनी सल्तनत के

झुकते नहीं किसीके आगे

सिवा खुदा डरते नहीं किसी बला से

इसलिए ओ जनाब

रहना आप होशियार

नहीं तो हो जाओगे बर्बाद

घटा

महकी महकी फिजाये

बहकी बहकी हवाये

हो चाँदनी से सराबोर

बिखरा रही घटा घनघोर

देख इस अनुपम छटा को

मुस्कराने लगे फूल भी

आनन्द

कल्पना को अगर लग जाये पंख

टूटने लग जाये ह़र तिल्सिम का रहस्य

इस आंधी में

डूबने लग जाये जब मन

कल्पना लोक में ही

विचरण करने लगे तब मन

क्योंकि इसमें ही है

रोमांच के साथ मनोरंजान का आनन्द

अपनी भी बात

क्यों ना ऐसा करे

आओ हम तुम मिल चिठ्ठी लिखे

बात जो कह नहीं सके

ख़त के जरिये , शब्दों में वया करे

खोल दे दिलों के राज

सुनके एक दूजे के दिलों का हाल

क्या पता बन जाये अपनी भी बात

जुड़ जाये अपने भी दिलों के तार

थामे एक दूजे का हाथ

कर दे मोहब्बत का ऐलान

पुचकार

देख अपने को दर्द जुबा पे चला आया

मन सिसक उठा

दिल रो पड़ा

आँखे छलछला आयी

गले लगा पुचकारा जो प्यार से

ना दर्द रहा

ना दर्द का अहसास रहा

छुटकारा

तन्हाई का आलम टूटे नहीं

तंग गलियों में मन लगे नहीं

अकेलेपन का भय दल से दूर जाये नहीं

खुद से लड़ने की हिम्मत नहीं

इस तन्हाई का कोई इलाज नहीं

शायद मरकर भी इससे छुटकारा नहीं

शोला

प्यार का शोला दिल में ऐसा भड़का

तेरे लिए जलते अंगारों पे चल पड़ा

यकीन था तेरे दामन तले

ओश की शबनमी बूंदों सा

भरपूर प्यार मिलेगा

जो ह़र मरहम के घाव भरेगा

Monday, June 14, 2010

कदम

संभल संभल के रखो कदम

फिसल ना जाये कहीं कदम

डगर है कठिन जिन्दगी की मगर

कदम रखो सही राह पर अगर

होगी मंजिल कदमों के करीब तब

यह है कामयाबी के क़दमों का मंत्र

इसलिए संभल संभल के रखो कदम

जात

ओ मौला मेरे

मुझको मेरी जात बता दे

हिन्दू या मुसल्मा

ये मुझको बता दे

कैसे पुकारू तुझको

राम या खुदा

ये मुझको बता दे

हो सके तो कर दे बस इतना सा

इंसा मुझको रहने दे दे

कर कुछ ऐसा

ह़र मजहब में देखे तेरा एक सा ही चेहरा

मिट जाये दिलों से दूरियाँ

ओ मेरे रबा

मुझ पर इतनी दया कर दे

मुझको मेरी जात बता दे

गमों का हमराज

जब कभी बनाना हो किसी को

अपने गमों का हमराज

कर सकते हो हम पे ऐतबार

दर्द आप का कर लेगे अपने नाम

अपना सुख कर देगे आपके नाम

गले लगा भुला देगे गमों की बात

आपके जीवन को खुशियों से कर देगे गुलजार

सावन की फुहार

रुत घनेरी छाई

सावन की घटा चली आयी

काले काले बादलों में

पानी की बुँदे ले आयी

गरजने लगे अम्बर

बरसने लगी वर्षा मुसलाधार

छा गयी सावन की फुहार

Tuesday, June 8, 2010

इन्तजार

इन्तजार इन्तजार

हर घड़ी इन्तजार

इन्तजार इन्तजार

चुभे मन के तार

थक गया कर कर के

इन्तजार इन्तजार

हर घड़ी इन्तजार

इन्तजार इन्तजार

दर्द बहे नयनन के द्वार

सुख गया आंसुओ का तालाब कर कर के

इन्तजार इन्तजार

हर घड़ी इन्तजार

इन्तजार इन्तजार

अब रही ना जीने की मुराद

उखड़ने लगी है साँसे कर कर के

इन्तजार इन्तजार

हर घड़ी इन्तजार

इन्तजार इन्तजार

बेईमान

तन्हा अकेला खड़ा था भीड़ में

कोई भी अपना ना था कहने को पास

जिसे भी माना अपना यार

वो ही निकला बेईमान

मुक़दर ही ऐसा मिला

यकीन कहीं खो गया

पुकारा खुदा को

मगर वो भी अनसुनी कर गया

हमको हमीसे अकेला कर गया

आम

इजाजत अगर मिल गई होती इतनी सी

खता हमसे हुई नहीं होती कभी

जब जब की फ़रियाद

अनसुनी करदी आपने हर बार

मजबूर अगर आप थे

लाचार विवश हम भी थे

सिर्फ़ एक बार जो कह दिया होता

गुनाह हमसे आज ना होता

बात जो थी ख़ास

वो ना बनती आम

मुस्करा के

मन कुछ कहने को हुआ

उनसे कुछ सुनने को हुआ

थोड़ी झिझक हुई

देख उनकी आँखों मैं

हम शरमा गए

वो मुस्करा के बगल से गुजर गए

मन चाह कर भी कुछ कह ना पाया

ना उनसे कुछ सुन पाया

खोई यादे

आज दिल बचपन में लौट जाने को मचल रहा है

खोई यादे समेटने को आतुर हो रहा है

वक्त जो पीछे छुट गया

उससे मिलने व्याकुल हो रहा है

मन आज पीछे छूटे बचपन से

नाता जोड़ने की कोशिश कर रहा है

आहट

चाल में उनके नजाकत थी

हर कदम पे धीमी आहट थी

हर आहट में सरगम थी

सरगम में ऐसी नफासत थी

उनके आने की ख़बर

उनके आने से पहले

कोसो दूर पहुँच जाया करती थी

Thursday, June 3, 2010

आँखों में

दर्द नूर बन बह आया

पूछ लिया साथी ने

क्यों अश्क बह गया

कह दिया हमने

धूल आँखों में समा गई थी

चुभन कुछ ज्यादा हो रही थी

इसलिए रो के आँखे साफ़ कर ली

काश बारिश हो रही होती

अश्क उसमे घुल गए होते

साथी को पता भी ना चलता

ओर हमको उनसे झूट कहना नहीं होता

जोर आंसुओ पे चलता नहीं

दर्द की ओर कोई दवा नहीं

आंसुओ के सिवा इसका ओर कोई आसरा नही

दिलों के पास

सदी गुजर गई तुमसे मिले हुए

तरस गए नयन मिलने के वास्ते

पर आस की डोर कोई बंधी हुई है

जो हम तुम को जोड़े खड़ी है

यही तो अपने रिश्ते की अच्छी बात है

दूर होते हुए भी

एक दूजे के दिलों के पास है

सकून भरे पल

दो पल सकून के मुझको दे दो

माँ के ममता भरे आँचल में

दो पल चैन की नींद मुझको सो लेने दो

थक गया , सो नहीं पाया

मौला मेरे रहम करो

कुछ पल के लिए ही सही

वो मासूम बचपन लौटा दो

माँ की गोद में फिर से

सर रख सो जाऊ

बस वो सकून भरे दो पल मुझको भी दे दो

लाली

देख आप के चहरे की लाली

मौसम का मिजाज भी लाल हो गया

आप की लाली के आगे

चाँद भी शरमा गया

सांझ की शमा को लाल बना

ये दिन आप की लाली के नाम कर गया

दिल के पास

यार तुम हो प्यार

करो ना इनकार

अब रूठना छोडो मेरे यार

बन के तेरे सर के ताज

रखूँगा हर पल तुझको दिल के पास

तुम ही मेरी मुमताज

तुझसे हसीन ना कोई ओर इस जग में

सच तो यही है मेरे यार

हम तो करते है सिर्फ़ तुम ही से प्यार

यारी से प्यारी

यारों में जब स्नेह लगे बड़ने

प्यार लगे रंग अपना दिखलाने

तोड़ सारी हदे

यारी को मिल जाता है एक नया नाम

मोहब्बत है इसका नाम

यारी जिंदाबाद