RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Sunday, May 30, 2010
फेहरिस्त
राज आप की ख़ामोशी का जान ना पाये
चाह कर भी आप को हँसा ना पाये
सूरत रोनी फब्बती नहीं आप पे
कैसे बदले इसे
खिलखिलाती आप रहे
चाहे हमें दोस्त ना पुकारो
मगर इल्तजा है बस इतनी सी
दुश्मनों की फेहरिस्त में
नाम हमारा भी हो
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