POEMS BY MANOJ KAYAL
कैसी ये तलाश है
जो आज तलक अधूरी है
ढूंड रहा मन किसको
इससे दिल भी अनजान है
है वो क्या
जिसके लिए आंखे बेताब है
शायद मन खुद से अनजान है
तभी कोई अनछुई तलाश है
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