Saturday, May 8, 2010

अभिव्यक्त

कला हुस्न की मोहताज नहीं

मंथन है ये तो विचारों की

स्वतंत्र रूप से अभिव्यक्त सुरों की

प्रेरणा है ये तो आत्मसम्मान से जीने की

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