POEMS BY MANOJ KAYAL
व्यंग बाण चले ऐसे
भावनाए भेद उठी
चिंगारी ये जो लगी
सीने में आग भभक उठी
दर्द जो दिल में छिपा था
चहरे पे उभर आया
चुभन आंसू बन आँखों से बह पड़ी
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