POEMS BY MANOJ KAYAL
हसरतें बड़ी छोटी सी थी
जिस अंगुली को पकड़ चलना सिखा
जिस के नाम से नाम मिला
उस की छाया में जीवन बीते
मंजूर किस्मत को ये ना था
हसरत अधूरी ही रह गयी
सर से पिता की छत्र छाया चली गयी
जिन्दगी भीड़ में अकेली खड़ी रह गयी
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