Monday, May 24, 2010

सलामती

जब भी मैंने आवाज़ दी

तुने अनसुनी करदी

आज जब तुने पुकारा

मैं बहुत दूर निकल आया

अब लोट आना मुमकिन नहीं

दुआ फिर भी करेंगे

तुम ज़हा भी रहो

सदा सलामत रहो

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