POEMS BY MANOJ KAYAL
कला निखर आयी
आस जो प्रेरणा बन आयी
रचना ऐसी लाजबाब बनी
फूलों की जैसे सुन्दर माला गुंथी
अंतर खुल गए सब मन के
सप्त लहरियों ने जैसे मधुर तान है छेड़ी
दिव्य प्रकाश जगमगा उठा
अँधेरे में जैसे रौशनी की किरण बिखर आयी
No comments:
Post a Comment