Tuesday, May 25, 2010

निखार

कला निखर आयी

आस जो प्रेरणा बन आयी

रचना ऐसी लाजबाब बनी

फूलों की जैसे सुन्दर माला गुंथी

अंतर खुल गए सब मन के

सप्त लहरियों ने जैसे मधुर तान है छेड़ी

दिव्य प्रकाश जगमगा उठा

अँधेरे में जैसे रौशनी की किरण बिखर आयी

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