POEMS BY MANOJ KAYAL
मन तेरे बिना लागे नहीं
बिन तुझे देखे रहा जाये नहीं
लग गया रोग ये कैसा
नींद आँखों में आती नहीं
दिल बातें करे खुद से
कैसी ये अगन लगी
दुनिया कहे दीवाना हमको
हँस रही कुदरत देख बेहाल हमको
इस रोग का इलाज नहीं कोई
प्रेम रोग है ये तो
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