POEMS BY MANOJ KAYAL
सूर्य अस्त हो चला
सांझ घिर आयी
खड़े थे जिसके इन्तजार में
वो बेला ना आयी
खुदगर्ज हो गया
भूल गया एक पल में सबको
नाता तोड़
अँधेरे में निकल पड़ा
करने खुद की खोज
अस्त हो गया जीवन का मोड़
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