POEMS BY MANOJ KAYAL
देखे हजारों गुलाब
पर देखा ना तुम सा शबाब
ओस की शबनमी बूंदों में लिपटी
खिलती कलि
लग रही थी मासूम परी
सिमट आयी सारी कायनात जैसे
बनके गुलाब की पंखुरी
महक उठी फिजा
फूल बन गयी कलि
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