POEMS BY MANOJ KAYAL
मैं शाहिल तू किनारा
मैं मौज तू धारा
फिर कैसे ना हो
मिलन हमारा तुम्हारा
आ समां जाये एक दूजे की बांहों में
कही बंट ना जाये प्यार मंजिल की राहों में
No comments:
Post a Comment