POEMS BY MANOJ KAYAL
बांसुरियां दिल की बजी
ओढ़नी उड़ने लगी
झांझरिया बजने लगी
सुन के प्रेम रस
राधा दीवानी होने लगी
नाच उठी गोपियाँ
मोहन संग राधा प्रेम रास रचाने लगी
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