POEMS BY MANOJ KAYAL
फिर रात यू ही गुजर जायेगी
रूह तड़प के रह जायेगी
किस्मत का खेल है ये तो
बाँधी दो जाने ऐसे डोर से
मिलन उनका हो सके नहीं
इन्तजार की शाम ढले नहीं
लगन की अगन बुझे नहीं
काटे रात कटे नहीं
No comments:
Post a Comment