कोई छू ले तुझ जैसे खिलते गुलाब को
खता ये मुझे गंवारा नहीं
इसलिए काँटा बन
तुझे अपनी पनाह में मैं ले आया
सच्चे इश्क की इबादत में
दिल अपना तुझ पे कुर्बान कर आया
खता ये मुझे गंवारा नहीं
इसलिए काँटा बन
तुझे अपनी पनाह में मैं ले आया
सच्चे इश्क की इबादत में
दिल अपना तुझ पे कुर्बान कर आया
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