Sunday, May 2, 2010

डरावना

वीभत्स वीभत्स , घिनौना घिनौना

बड़ा ही डरावना था वो सपना

शक्ल कहूँ या नरपिचाश

अक्स था बड़ा ही खौफनाक

तिल्सिम टूटा जब इस मंजर का

निंद्रा भाग गयी छोड़ सपना

नयनों के आगे अब भी घूर रहा

बड़ा ही कुरूप वो चेहरा


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