POEMS BY MANOJ KAYAL
बरस रही मेघा मुसलाधार
नाम नहीं ले रही थमने का
लगी कहर बरपाने मेघा
उफन ने लगी नदियाँ
भर गए शहर तालाब
ह़र ओर पानी ही पानी
डूब गए घर बार
तांडव मचाने लगी बाड़
देख के इस मंजर को
कह उठा मन चीत्कार
अब बस भी करो मेघा रानी
ओर ना बरसाओ पानी
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