POEMS BY MANOJ KAYAL
उफनती लहरों पे चले जा रहे है
बहते अश्को में डूबे जा रहे है
उजड़ गयी है वादियाँ
लुट गयी है दुनिया
सितम वक़्त ने ऐसा दिया है
ह़र कोई बदला बदला लग रहा है
खत्म अब आस है
जीने के लिए ना कोई मकसद पास है
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