POEMS BY MANOJ KAYAL
कल तक जो पहचान थी
वो आज गुमनाम है
इस बदले समय में
अपनों के लिए भी अनजान है
वक़्त सदा एक सा नहीं होता
समय बड़ा बलवान है
बुरे वक़्त ही होती है
अपनों की सच्ची पहचान
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