सिमट गयी जिन्दगी चारदीवारी में
आँखे हो गयी सूनी
दिल हो गया पत्थर
अकेलेपन तन्हाई इनका ही अब साथ है
जिन्दगी खुद से अनजान है
आंसुओ का भी अब तो नहीं साथ है
तड़प रही है जिन्दगी
हार गयी मैं खुद से
कह रही है जिन्दगी
सिमट गयी है जिन्दगी
चारदीवारी में कैद हो गयी है जिन्दगी
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