POEMS BY MANOJ KAYAL
कुछ तो है कहीं तो है
अहसास तभी तो है
एक अनछुई सी अनुभूति का है
बहुत ही हसीन जज्बातों का मेला है
जज्बातों के इस मेले में
ह कोई
जो अपनी ओर आकर्षित किये जा रहा है
अनुभव जिस आकृति का हो रहा है
दिल मानस पटल पर उसकी तस्वीर बना रहा है
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