POEMS BY MANOJ KAYAL
डगर डगर
टहर टहर
शहर शहर
पहर पहर
मगर अगर
करे है फर्क
यू ही बीत रही जिन्दगी
भूल के लक्ष्य
भटक रही जिन्दगी
समझ ना आई बात
लुट गयी जिन्दगी
घूम रही जिन्दगी
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