POEMS BY MANOJ KAYAL
चुभती है कडवी बातें
अच्छी लगती है मीठी बातें
सारा खेल ही है बातों का
बातों की बात निराली
कहीं ह़र लेती है प्राण बातें
कहीं बन जाती है संजीवनी बातें
सोच समझ कर करो बातें
छोड़ कडवाहट को
जीत लो जग को मीठी बातों में
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