खाब्बों में ख्यालों में
अक्सर कोई आता है
आके मुझे जगाता है
नगमे नए सुनाता है
ह़र ओर वही नज़र आता है
काश ऐसा होने लगे
सपनों की दुनिया से निकल
आके वो मझसे मिले
चाहत है वो हमारी
अब नहीं दुनिया उस बिन प्यारी
कहने का एक मौका हमको भी दे दे
रखेगें सर का ताज बना कर
चाहेंगे ना किसी ओर को
एक बार सपनों से निकल
आके वो हमसे तो मिल
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