Friday, March 19, 2010

खुमारी

उतर गयी खुमारी

चढ़ गयी बेताबी

लुट गयी दुनिया

उजड़ गयी जवानी

अपने ही हाथों

तहस हो गयी जिंदगानी

बची ना अब कोई आस

साथ छोड़ गयी परछाई भी अपनी

देख हश्र ये

जिन्दगी भी रो पड़ी

तिल तिल तडपता देख

ओर जीने की तम्मना ना रही

खुमारी उतरने से पहले ही

जिन्दगी बेजार हो गयी

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