शब्द कहीं खो गए
कविता अधूरी रह गयी
तलाशा बहुत टटोला बहुत
पर वापस मिले नहीं
टूट गए शब्द
बिखर गयी शब्दों की माला
ओर रह गयी कविता अधूरी
शब्द कहीं खो गए
कविता अधूरी रह गयी
तलाशा बहुत टटोला बहुत
पर वापस मिले नहीं
टूट गए शब्द
बिखर गयी शब्दों की माला
ओर रह गयी कविता अधूरी
दिल फ़िदा तुम पे मर मिटा
तरस रहे नयन तड़प रहा मन
तुम बिन अब चैन कहा
ओ मेरी राह गुजर
ओ मेरी शामे शहर
सुनले तू दिल की वफा
हो गया है ये तुझ पे फ़िदा
आके बाहों में दुनिया भुला जा
आ आजा , आके दिल में समां जा
ओ मेरी राह गुजर
ओ मेरी शामे शहर
खाब्बों में ख्यालों में
अक्सर कोई आता है
आके मुझे जगाता है
नगमे नए सुनाता है
ह़र ओर वही नज़र आता है
काश ऐसा होने लगे
सपनों की दुनिया से निकल
आके वो मझसे मिले
चाहत है वो हमारी
अब नहीं दुनिया उस बिन प्यारी
कहने का एक मौका हमको भी दे दे
रखेगें सर का ताज बना कर
चाहेंगे ना किसी ओर को
एक बार सपनों से निकल
आके वो हमसे तो मिल
गोल गोल घुमे दिल की वॉल
छू लिया तुने हो गयी गोल
देख तुझको फुदक रही दिल की वॉल
तेरी प्यारी सी हँसी पे
हो गया दिल अपना गोल
तेरे सुन्दर गोल गोल नयनों के आगे
हारी अपनी दिल की वॉल
सुनके तेरी इकरार हो गयी
अपनी दिल की गोल
गोल गोल घुमे दिल की वॉल
उतर गयी खुमारी
चढ़ गयी बेताबी
लुट गयी दुनिया
उजड़ गयी जवानी
अपने ही हाथों
तहस हो गयी जिंदगानी
बची ना अब कोई आस
साथ छोड़ गयी परछाई भी अपनी
देख हश्र ये
जिन्दगी भी रो पड़ी
तिल तिल तडपता देख
ओर जीने की तम्मना ना रही
खुमारी उतरने से पहले ही
जिन्दगी बेजार हो गयी
तलाश अभी जारी है
ख़ुद से ख़ुद की मुलाक़ात अभी बाकी है
हसरतें अधूरी सी है
प्यास अभी बाकी है
ललक कुछ कर गुजरने की है
अब तलक क्या खोया क्या पाया
ये चिंतन अधूरी है
है तलाश किसकी नहीं मालुम
फिर भी तलाश जारी है
शायद अनजाने मैं ही सही
क्योंकि ख़ुद से ख़ुद की मुलाक़ात
अभी तलक बाकी है
ख़ुद ने ख़ुद को प्रोत्साहित किया
कदम बढ चले नई मंजिल की ओर
शिखर कामयाबी का
कल तक जो लगता था दूर
आज वो लग रहा बहुत करीब
फासला चाँद कदमो का मिटने को है त्यार
इतिहास दोहरायेगा ख़ुद को
ओर बन जायेगी एक नई पहचान
स्वर्ण अक्षरों में लिखी जायेगी
सफलता की ये मिशाल
अंगुली आप की छुट गयी
यादें बस पास रह गयी
आप के आशीर्वाद की छत्र छाया में
ह़र अरमान ह़र सपने साकार हो गए
कमी आपकी ह़र पल खलती है
ह़र पल जिन्दगी आपको ही सुमिरन करती है
स्वर्गलोक गमन की इस पुण्य तिथि
आंसुओ से भींगे दो फूल हमारे भी
हे पिता श्री आप अपने श्री चरणों में स्वीकार करो
चुभती है कडवी बातें
अच्छी लगती है मीठी बातें
सारा खेल ही है बातों का
बातों की बात निराली
कहीं ह़र लेती है प्राण बातें
कहीं बन जाती है संजीवनी बातें
सोच समझ कर करो बातें
छोड़ कडवाहट को
जीत लो जग को मीठी बातों में
जहा पग पग बिखरे पड़े मिथ्या के बोल
चल नहीं सकती उस राह रिश्ते की डोर
जहा मिथ्या है सबसे बड़ा पाप
वही रिश्ता है सबसे पाक
रखनी है अगर रिश्ते की लाज
तो छोड़ना पड़ेगा मिथ्या का साथ
दोस्तों को लोग याद करते है यदा कदा
पर दुश्मनों को करते है सदा
काश हम भी दुश्मनों की गिनती में होते
कम से कम आपके ख्यालों में तो ह़र पल होते
खो गयी जिन्दगी अकेलेपन में कहीं
छुट गयी बचपन की यादें
जिन्दगी की रफ़्तार में कहीं
गुम हो गयी मुस्कराहट कहीं
रह गयी जिन्दगी काँटो में उलझ कहीं
शायद नज़र लग गयी ख़ुशी को कहीं
तभी छुट गया ह़र लहमा कहीं
ओर रह गयी बस आंसुओ में लिपटी
दर्दनाक जिन्दगी की कहानी कहीं