कृष्ण मनोहर माधव गिरधारी
हरे गोविन्द हरे मुरारी
हे कलयुग अवतारी हे त्रिपुरारी
सुनले विनती हमारी कह रही सखियाँ सारी
बृज मंडल पधारो हे मौर मुकुट धारी
खेलन होली आयी राधा ले पिचकारी अपने साथ
हम रंगे तुमको प्रेम रंगों में
तुम रंगों हमको श्याम अपने रंगों में
सुनके हमारा विनम्र निवेदन
खेलन होली आ जाओ हे नाथ
कृष्ण मनोहर माधव गिरधारी
हरे गोविन्द हरे मुरारी
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