POEMS BY MANOJ KAYAL
अजनबी तुम हो
अजनबी हम है
फिर ये कैसा मिलन है
पर लागी तुमसे लगन है
की है बातें अभी तक
जाना है एक दूजे को बस यहीं तलक
कशीश फिर भी है मिलन की
दीवानगी की हद तक
तस्वीर जो बनी अब तलक
शायद तुम ही वो हमसफ़र
हो अजनबी फिर भी हो राह गुजर
No comments:
Post a Comment