POEMS BY MANOJ KAYAL
निकला था सवाल का हल ढूढ़ने
पर सवालों के जाल में उलझ
ख़ुद एक सवाल बन रह गया
उतर जिस किसीसे भी पूछा
उसने ही एक नया सवाल पूछ डाला
ओर मैं सवालों की भूल भूलैया में
ख़ुद दुनिया के लिए सवाल बन रह गया
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