POEMS BY MANOJ KAYAL
चला जिस अंगुली को पकड़
वो अंगुली छुट गई
शायद रब को चलने के लिए
मेरे पिता की जरुरत पड़ गई
तभी बिखर गई मेरी दुनिया
ठहर गए कदम
रब ही जाने उसने ऐसा क्यों कर डाला
मुझ बेबस लाचार से
मेरे बाबा ( चाचा ) का हाथ क्यों छुड़ा डाला
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