अक्षरों का खेल है सारा
जैसे चाहो वैसे सजालो
मन माफिक शब्द बनालो
है अक्षरों का मेल अनूठा
विचित्र बड़ा ही है शब्दों का मेला
जैसे हर शब्दों का अर्थ है निराला
वैसे ही हर अर्थों की भी है अपनी कहानी
हर कहानी की है अपनी जुबानी
ओर बनते बिगड़ते कहानी जुबानी
बन जाते है कुछ शब्द अनोखे
अनोखे शब्दों के अर्थ भी होते है अजूबे
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