POEMS BY MANOJ KAYAL
तराशा ताजमहल जिन्होंने
हुनर था हाथों में उनके
प्रेम को पथरों पे उकेरा ऐसे
इबादत हो खुदा की जैसे
किवदंती जिन्दा बन गई
प्रेम कहानी अमर कर गई
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