POEMS BY MANOJ KAYAL
लोट के चल दिए घर को हम अपने
समेटे यादों को दिल में
संजोये थे सपने जो
खाब अधूरे रह गए वो
हम तुम मिल नहीं पाये
दोस्त बन नहीं पाये
पर अजनबी बन दूर चले आए
ओर फ़साना बनने से पहले ही
किस्से खत्म कर आए
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