POEMS BY MANOJ KAYAL
लुका छिपी आँख मिचोली
कर दिया मुश्किल जीना इसने
नचा रही भूल भुलैया में
पहेली हमें बुझा रही
रहस्य क्या है समझ आया नहीं
वो कौन है जान पाये नहीं
कब उठेगा राज से परदा
शायद खुदा को भी मालूम नहीं
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