नारी शौषण को देख
विचार मन में कोंधा
निष्ठुर क्यो है इतना मानव
प्रतिशोध है कैसा उसके मन समाया
जन्म दिया जिसने उसे ही बेरी क्यों बनाया
कलंकित कर दिया इस धारा ने
सारी मानव जात को
दुर्भाग्य आज तलक नारी उत्पीड़न के खिलाफ
आवाज ना कोई बुलंद कर पाया
कब होगा अंत इस पीड़ा का
कोई कह पाया नहीं
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