POEMS BY MANOJ KAYAL
आकृति एक नजर आई
गौर से देखा तो साया था
पूछा उससे कहा उसने
परछाई हु तेरी
संग संग तेरे चलती हु
कभी आती हु कभी जाती हु
अकेला तू है नहीं
मैं हु साथ तेरे
यह बत्ताने आती हु
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