POEMS BY MANOJ KAYAL
लहमा लहमा कह रहा है
बूटा बूटा सुन रहा है
कितनी हसीन है ये शाम
सूरज लगने लगा है ढल
छा गयी अम्बर में लाली
चाँद नजर आने लगा
छटा बनी अनुपम निराली
ये शाम कित्नु हसीन है
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