होती है कठपुतलियां बेजान
फिर भी इशारे पर करती है नाच
निपुण होता है वही कलाकार
जिसने जानली हो इस कला की पहचान
महारथी हो चाहे कितने भी बड़े पारंगत
अगर डाल न पाये जान बेजान कठपुतलियों में
तो सारी कला है बेकार
होती है कठपुतलियां बेजान
फिर भी इशारे पर करती है नाच
निपुण होता है वही कलाकार
जिसने जानली हो इस कला की पहचान
महारथी हो चाहे कितने भी बड़े पारंगत
अगर डाल न पाये जान बेजान कठपुतलियों में
तो सारी कला है बेकार
प्रेम सुधा तुम जब बरसाती हो
इन मद भरी आँखों से
बेसुध हो जाती है दुनिया सारी
देख तेरी सुनहरी हिरनी सी चंचल काया
होश खो ठहर जाती है
एक पल के लिए दुनिया सारी
निश्चल खड़ा पहाड़
कह रहा है पुकार
अडिग रहो करम पथ पे
ना करो अभिमान
देखो मुझको अविचलित खड़ा हु
सीना अपना ताने
चाहे आओ आंधी या तूफ़ान
डिगा ना पाये मेरा स्थान
तुम भी खड़े रहो मेरी तरह
करम पथ पे अपने
बस मत करना अभिमान
सरल सहज सुगम माध्यम
को आसान होता है समझना
कठिन शब्दावली होती है थोड़ी भिन्न
समझ नहीं आये तो कर देती है अर्थ भिन्न
फेर सारी मेहनत पे पानी
व्यर्थ चली जाती है सारी मगज मारी
तोते से बोली मैना
सुनलो जी मेरा कहना
हरी भरी वादियों के बीच
हो सुन्दर सी अपनी बगिया
खोलू खिड़की तो दिखे
चन्दा में तेरा ही चेहरा
तोते से बोली मैना
सुनलो जी मेरा कहना
रहे सलामत प्यार ये अपना
मिलके बुना जो सपना
सचमुच वो हो जाये अपना
तोते से बोली मैना
सुनलो जी मेरा कहना
तोते से बोली मैना
अपूर्व है होली का मिलन
ह़र बेर भुला रंगों के रंगों में
रंग जाते है ह़र जन
चढ़ जाता है जब होली का रंग
गले लग जाते है दुश्मन भी तब
अपूर्व है होली का मिलन
सृजन करे मंथन करे
आओ हम सब मिल आत्म मंथन करे
चले नेकी की उस राह पर
पग पग जिसमे कांटे चुभे
कठिन होगी डगर मगर
सेज मिलेगी फूलों की काँटो की राह चलके
इसीलिए क्यों ना फिर
सृजन करे मंथन करे
हम सब मिल आत्म मंथन करे
आओ मिलजुल नेकी की नई राह का सृजन करे
नींद नहीं है आँखों में जबसे
तुम मिले आके सपनों में जबसे
करवटे बदल रहे है उसी पल से
ढूंढ़ रहे है सितारों में तुम्हे उसी पल से
पलक झपकती नहीं एक पल के लिए
सपना कहीं टूट ना जाये एक पल के लिए
नींद अब बस आती नहीं उस दिन से
तेरी तस्वीर बनी इन आँखों में जिस दिन से
गुजरे कल को भूल जाओ
आने वाले कल की चिंता करो
भूत से निकल भविष्य को सुमरन करो
रहना है खुशहाल तो मेरे दोस्त
वर्तमान में जीना सीखो
सुन रे सखी री
ओ मेरी हमजोली
ना खेलो आँख मिचोली
आ खेले हम तुम होली
मच रही है धमाल
उड़ रही है गुलाल
आ रंग दे तेरे भी गाल
सुन रे सखी री
ओ मेरी हमजोली
ना करना इनकार
आ रंग ले प्यार के रंगों को
होली के रंगों के साथ
भींगे तेरी चुनर
उड़े अबीर गुलाल
सुन रे सखी री
ओ मेरी हमजोली
चला जिस अंगुली को पकड़
वो अंगुली छुट गई
शायद रब को चलने के लिए
मेरे पिता की जरुरत पड़ गई
तभी बिखर गई मेरी दुनिया
ठहर गए कदम
रब ही जाने उसने ऐसा क्यों कर डाला
मुझ बेबस लाचार से
मेरे बाबा ( चाचा ) का हाथ क्यों छुड़ा डाला
अक्षरों का खेल है सारा
जैसे चाहो वैसे सजालो
मन माफिक शब्द बनालो
है अक्षरों का मेल अनूठा
विचित्र बड़ा ही है शब्दों का मेला
जैसे हर शब्दों का अर्थ है निराला
वैसे ही हर अर्थों की भी है अपनी कहानी
हर कहानी की है अपनी जुबानी
ओर बनते बिगड़ते कहानी जुबानी
बन जाते है कुछ शब्द अनोखे
अनोखे शब्दों के अर्थ भी होते है अजूबे
छोटी सी एक मुलाक़ात
सवालों से घिरी दास्तान
फिक्रमंद दोनों इंसान
एक गाये झूटे आलाप
दूजा कहे सच्ची बात
अन्तर है गहरा
राह नहीं आसान
इसलिए बन गई एक छोटी सी मुलाक़ात
दोस्ती की पहली और आखरी मुलाक़ात
गलतियां सबक बनती है
सबक इम्तिहान बनती है
इम्तिहान परख बनती है
परख दर्पण बनती है
ओर दर्पण झूट नहीं कहता है
थक गए नयन
राह तेरी तकते तकते
पर तुम आए नहीं
ओर बंद हो गई पलके
निहारेंगे तुम्हे कैसे
आओगी तुम जब पास
रोशनी नहीं होगी जब
इन आँखों के पास
घड़ी वो भी आई
दो अजनबी मिले दोस्तों की तरह
रूबरू हुए एक दूजे से
बैठे आमने सामने
सूरत उनकी तब भी नजर नही आई
हिजाब पहन रखा था
जिससे सिर्फ़ आँखे नजर आई
दोस्त बन गए
मगर खूबसूरती के दीदार को
नजरे इनायत ना हो पायी
पहचान अधूरी की अधूरी ही रह गई
अजनबी तुम हो
अजनबी हम है
फिर ये कैसा मिलन है
पर लागी तुमसे लगन है
की है बातें अभी तक
जाना है एक दूजे को बस यहीं तलक
कशीश फिर भी है मिलन की
दीवानगी की हद तक
तस्वीर जो बनी अब तलक
शायद तुम ही वो हमसफ़र
हो अजनबी फिर भी हो राह गुजर
सोचा ना था कभी
एक पल ऐसा भी आयेगा
अजनबी कोई दोस्त बन जायेगा
जज्बातों से खेल
दिल के टुकड़े कर जायेगा
विश्वास का क़त्ल कर
रिश्तो को मौत की नींद सुला जायेगा
सोचा ना था कभी
एक पल ऐसा भी आयेगा
निकला था सवाल का हल ढूढ़ने
पर सवालों के जाल में उलझ
ख़ुद एक सवाल बन रह गया
उतर जिस किसीसे भी पूछा
उसने ही एक नया सवाल पूछ डाला
ओर मैं सवालों की भूल भूलैया में
ख़ुद दुनिया के लिए सवाल बन रह गया
सपने जो आपने संजोये
साकार हम कर गए
पर हमें आंसुओ के साथ छोड़
आप अंतविहीन यात्रा पर
रब के पास चले गए
कमी आपकी सदा खलती है
बिन आपके कामयाबी भी अधूरी लगती है
दुआ है बस अब इतनी सी
आप के मार्ग पे चलते रहे
आशीर्वाद आपका सदा हम पे बना रहे
बुखार प्यार की उतर गई
देखा जो उनकी आँखों में
सच्चाई पता चल गई
दिल्लगी थी दिल लगी नहीं थी
नादान हमने नादानी में
बीमार दिल को बना दिया
दिल और दिल्लगी के इस खेल में
ख़ुद को जला लिया
ऐतबार इसको किसी का ना रहा
नफरत ये ख़ुद से करने लगा
भूत प्यार का उतरने लगा
बेताबी बडती गई
उलझाने उलझती गई
किनारा कोई नजर आया नहीं
छोटी समस्या विकराल हो गई
परिस्थिथिया बदल विषम हो गई
साधारण पहेली अनबुझ बन कर रह गई
परम्परा निभानी है
रस्म सदियों पुरानी है
आस्था बनी रहे
विश्वास टिका रहे
इसलिए सत्य पे अटल रहना है
दिया वचन निभाना है
लोट के चल दिए घर को हम अपने
समेटे यादों को दिल में
संजोये थे सपने जो
खाब अधूरे रह गए वो
हम तुम मिल नहीं पाये
दोस्त बन नहीं पाये
पर अजनबी बन दूर चले आए
ओर फ़साना बनने से पहले ही
किस्से खत्म कर आए
लुका छिपी आँख मिचोली
कर दिया मुश्किल जीना इसने
नचा रही भूल भुलैया में
पहेली हमें बुझा रही
रहस्य क्या है समझ आया नहीं
वो कौन है जान पाये नहीं
कब उठेगा राज से परदा
शायद खुदा को भी मालूम नहीं
तराशा ताजमहल जिन्होंने
हुनर था हाथों में उनके
प्रेम को पथरों पे उकेरा ऐसे
इबादत हो खुदा की जैसे
किवदंती जिन्दा बन गई
प्रेम कहानी अमर कर गई
युग युगांतर से चली आ रही जुबानी
परम्परा ये सदियों पुरानी
अखरती है दुनिया को प्रेम कहानी
रास आती नहीं उनको प्रेम दीवानी
क्योंकि उनकी नहीं कोई प्रेम कहानी
आकृति एक नजर आई
गौर से देखा तो साया था
पूछा उससे कहा उसने
परछाई हु तेरी
संग संग तेरे चलती हु
कभी आती हु कभी जाती हु
अकेला तू है नहीं
मैं हु साथ तेरे
यह बत्ताने आती हु
बोल बोल का फर्क है
बोल बोल का महत्व है
नहीं है जिन्दगी में ह़र चीजों का मोल
कुछ चीजें तो है अनमोल
इसलिए ह़र बोल को सोच समझ कर बोल
तोल मोल के बोल
बोल कुछ ऐसे बोल
जिसमे मिला हो अमृत का घोल
कृष्ण मनोहर माधव गिरधारी
हरे गोविन्द हरे मुरारी
हे कलयुग अवतारी हे त्रिपुरारी
सुनले विनती हमारी कह रही सखियाँ सारी
बृज मंडल पधारो हे मौर मुकुट धारी
खेलन होली आयी राधा ले पिचकारी अपने साथ
हम रंगे तुमको प्रेम रंगों में
तुम रंगों हमको श्याम अपने रंगों में
सुनके हमारा विनम्र निवेदन
खेलन होली आ जाओ हे नाथ
कृष्ण मनोहर माधव गिरधारी
हरे गोविन्द हरे मुरारी
पल इन्तजार के खत्म होते नहीं
ज्यौं ज्यौं समय लगे बीतने
त्यौं त्यौं इन्तजार लगे बड़ने
पल पल लगने लगे सदी समान
जितना ज्यादा इन्तजार
उतना ही ज्यादा इन्तजार
इसलिए करो सब्र से इन्तजार
मीठा लगने लगेगा इन्तजार
आयी है रंगों की बारात
लेके आयी होली अपने साथ
कोई मारे पिचकारी कोई उड़ावे गुलाल
रंग बी रंगे रंगों में रंग गयी दुनिया सारी
हरा पीला नीला लाल गुलाबी
छा गयी रंगों की घटा निराली
बरस रही रंगों की रागिनी
खो गयी दुनिया रंगों की मस्ती में भूल सारे दुःख
लहमा लहमा कह रहा है
बूटा बूटा सुन रहा है
कितनी हसीन है ये शाम
सूरज लगने लगा है ढल
छा गयी अम्बर में लाली
चाँद नजर आने लगा
छटा बनी अनुपम निराली
ये शाम कित्नु हसीन है
लहमा लहमा कह रहा है
बूटा बूटा सुन रहा है
स्वर विरोध के उठने लगे
मुखर युवा होने लगे
शक्ति संगठित होने लगी
विद्रोह का विगुल बजने लगा
एक नयी क्रान्ति होने लगी
करके लेगें दम खात्मा आतंक का
इस जय घोष से अमन की बयार बहने लगी
शांति की सूत्रपात होने लगी
कभी अपने लिए भी लिखता हु
जब कभी दिल रोता है
दो शब्द बुनता हु मैं भी
तन्हाईओं के अकेलेपन में
खुद से लड़ता हु जुड़ता हु
कोई बात दिल को छू जाये
उसे शब्दों में पिरों लिख लेता हु
अक्सर औरों के लिए लिखता हु
पर जब दिल भर आता है
दो शब्दों को अपने लिए भी लिख लेता हु
रोते रोते ये पता चला
रोने को ओर आंसू बचे नहीं
उमड़ा था आंसुओ का जो सैलाब
सुखा दिया उसने सभी नदी तालाब
अब जब आंसू ही बचे नहीं
फिर किस कर के रोये
इसलिए मन ही मन रोये ताकि
आंसू की जरुरत ही होवे नहीं
कहना है बस इतना सा
दिल रोता रहे ओर आंसू नजर आये नहीं
जिन्दगी मेरे लिए अभिशप्त है
चलना इसपेमेरे लिए दुर्भर है
जीने की कोई ललक मेरी बची नहीं
फिर भी खुदा है की मेरे को मौत देता नहीं
कौल हमने लगायी तीन बार
पर उनको समझ नहीं आयी यार
जाग गया मोहला सारा
सुन शोर बौखला आया
आधी रात गए
किस गधे ने है शोर मचाया
देख ये तमाशा
जोर से मैं चिल्लाया
बीबी खोल नहीं रही दरवाजा
उसको जगाने मैं तो बजाऊंगा बेन्ड बाजा
हो रही हो तुम लोगों को तकलीफ
करलो कान बंद तुम सारी भीड़
इतने में बीबी की नींद जगी
समझ आ गया सारा माजरा
फिर पी ली है हद से ज्यादा
पकड़ बाल हमको ले गयी घर के अन्दर
ओर बंद कर दिया गुशलखाने के अन्दर
होता जो कोई माध्यम पास
कह पाता अपनी बात
सहज रह सकता नहीं
भावनावों को व्यक्त कर सकता नहीं
मुश्किल तो यही है यारों
चाह कर भी अपनी बात कह पाता नहीं
कमी है मुझ में ऐसी कोई
प्यार कोई करता नहीं
नफरत के काबिल भी समझता नहीं
दोस्त कोई बने नहीं
दुश्मनों की कमी नहीं
प्रर्यत्न करू अच्छा करने की
पर होवे बिलकुल उसके उलट
इस कडवाहट से जिन्दगी बदली
आने लगी है ह़र बातों पे झंझलाहट
पर खुद में कमी की तलाश अब भी है जारी
चन्दा तू होले होले चल
रात इतनी जल्दी जाये ना गुजर
करले जी भर बातें प्रियतम संग हम
बस रखना तेरी चांदनी को थोडा काम
घूँघट जब सरकेगा निकलेगा मेरा भी चाँद तब
देख के उसको छिप ना जाना झट
चन्दा मेरे थोडा तो ठहर
जब तलक ना हो दीदार तब तलक तो ठहर
मिलन के इस पल का तू गवाह तो बन
चन्दा तू होले होले चल
ये रात इतनी जल्दी जाये ना गुजर