POEMS BY MANOJ KAYAL
गुजारिस है बस इतनी सी
दरकिनार हमें कभी करना नहीं
खता अगर हो जाये कोई
दिल से उसे लगाना नहीं
खुदगर्ज कभी बनना नहीं
हमें सितम सहने के लिए
कभी अकेले छोड़ जाना नहीं
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