POEMS BY MANOJ KAYAL
दिल लगाने की सजा है हमने पाई
इस दिल का क्या गुनाह
इसने तो अपनी वफा है निभाई
इससे ये मालूम ना था
दर्द जुदाई का क्या होता है
एक बेवफा से दिल लगाने का
नतीजा क्या होता है
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