POEMS BY MANOJ KAYAL
हरी दर्शन से मन भरे नहीं
टकटकी लगाये निहारु श्याम बिहारी को
नजर गिरधारी से हटे नहीं
बस गई छबि मोहन की नयनों में
दिल अब श्याम नाम दूर नहीं
हरी दर्श एक बार तो दे दो
मन अभी तलक भरा नहीं
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