POEMS BY MANOJ KAYAL
आरजू है बस इतनी सी
अनन्त तारो की महफ़िल में
मैं भी शुमार हो जाऊ
झिलमिलाऊ जगमगाऊ
अपनी रोशनी से
अँधेरी राते रोशन कर जाऊ
आंधियो से लडती शमा की तरह
आसमा में दीपक बन टीमटीमाऊ
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