POEMS BY MANOJ KAYAL
कौन तुम हो कौन मैं हु
उलझा हुआ बड़ा ही मसला है
क्यों ना ऐसा करे
हल कोई ऐसा निकाले
फिर ना कभी तू तू मैं मैं हो
पहचान कहीं खो ना जाए
बेहतर यही हो
तुम तुम हो मैं मैं हु
इससे अच्छा ओर कोई समाधान नहीं
सुलझ जायेगी उलझन
जो इस पहेली को समझ जाओगे
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