POEMS BY MANOJ KAYAL
दम घुटने लगा साँसे थमने लगी
सुनके उनकी नाराजगी आँखे नाम होने लगी
धड़कने बड़ने लगी साँसे उखड़ने लगी
जो हमने किया नहीं उसकी सजा हमने पायी
बे मुरबत मौत भी हमको ना आयी
दर्द की लहर ऐसी आयी
हमको जिन्दा लाश बना गयी
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