जिसने हमको रंज से उठा पलकों पे बैठा रखा है
उनको नजराना मैं क्या पेशे करू
चाँद तारे मिलते नहीं
खुशियाँ बाजार में बिकती नहीं
क्या तोहफा उन्हें भेंट करू
देख ताज मन को ये ख्याल आया
क्यों ना दिल अपना उनके नाम करू
पेशे खिदमत ये छोटी सी जान करू
नजराने में दिल अपना उनको भेंट करू
तोहफा ये वो ठुकरा ना पायेंगे
नजराना हमारा भी कबूल फरमायेंगे
लाजबाब कह के मुस्करायेंगे
गले लगा अपना बनायेंगे
तोहफा हमारा भी कबूल फरमायेंगे
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