POEMS BY MANOJ KAYAL
शाश्वत ईश्वर है नश्वर तन है
पहेली ये बहुत ही सरल है
ईश्वर की अनुकम्पा से
सृष्टि की ये देन है
सुंदर ये तन है
दिया जन्म जब रब ने
प्रेम क्यों तन से है
हर की अंतरात्मा में
विराजे प्रभु स्वयं है
इसीलिए आत्मा अजर अमर है
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