POEMS BY MANOJ KAYAL
रोते रोते ये पता चला
रोने को ओर आंसू बचे नहीं
उमड़ा था आंसुओ का जो सैलाब
सुखा दिया उसने सभी नदी तालाब
अब जब आंसू ही बचे नहीं
फिर किस कर के रोये
इसलिए मन ही मन रोये ताकि
आंसू की जरुरत ही होवे नहीं
कहना है बस इतना सा
दिल रोता रहे ओर आंसू नजर आये नहीं
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