POEMS BY MANOJ KAYAL
गुपचुप गुपचुप चुप चुप
खामोश है जिन्दगी
बह रही है सिसकियाँ
उफन रही है जिन्दगी
सुनी सुनी है जिन्दगी
धधक रही है अंतर्व्यथा
जल रही है जिन्दगी
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