POEMS BY MANOJ KAYAL
मित्र जो आप जैसा हसीन हो
तो क्यों ना फिर खाबों के पंख हो
ना कोई बंधन हो ना कोई दीवार
आओ मिलके लिखे एक पैगाम दोस्ती के नाम
मंजूर अगर हो करना इकरार
ना हो तब भी ना करना इनकार
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